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Wednesday, 29 March 2017

127. विस्मृत यात्री- राहुल संकृतायन (उपन्यास)

इतिहासका विद्यार्थी और पर्यटक होनेके कारण “विस्मृत यात्री” उपन्यासके लिखनेके लिये मेरा ध्यान जाना स्वाभाविक ही है। मैं करनेमें इतिहासकार और पर्यटककी जिम्मेवारीको ही पूरी तौरसे करनेकी कोशिश करता हूँ, जिसका फल यह भी होता है कि उपन्यास-प्रेमी इसमें कुछ कमियाँ पाते हैं। ऐसे पाठकोंके दृष्टिकोणसे कुछ अन्तर है, तो भी जिन दोषोंका उद्भावन किया जाता है, उनमेंसे कितनों को मैं भी अनुभव करता हूँ। पर, हटाना मेरे बसकी बात नहीं । हटानेके लिये कुछ तथ्योंको भी हटाना पड़ेगा, और साथ ही उतने धैर्यका मुझमें अभाव भी है। अतीत के समाजकी ईमानदारीके साथ वास्तविक रूपमें रखना मैं अपना प्रथम कर्तव्य समझता हूँ। ऐतिहासिक उपन्यासमें इतिहास और भूगोल या बहानेसे व्याख्या करना बेकार समझता हूँ। ‘विस्मृत यात्री” के लिखनेमें इन बातों पर कितना ध्यान दिया गया है, इसे सहृदय पाठक समझेगे। ….राहुल सांकृत्यायन



126. The Hardy Boys Mystery Stories (16 to 20)-Frenklin W Dixon

The Hardy Boys Mystery Stories (16 to 20)


16 A Figure in Hiding                                        16 A Figure in Hiding
17 The Secret Warning                                       17 The Secret Warning
18 The Twisted Claw                                        18 The Twisted Claw
19 The Disappearing Floor                                   19 The Disappearing Floor

125. कुलटा- राजेंद्र यादव

कहानी-संग्रह

  • देवताओं की मूर्तियाँ1951,
  • खेल-खिलौनेः 1953
  • जहाँ लक्ष्मी कैद हैः 1957
  • अभिमन्यु की आत्महत्याः 1959
  • छोटे-छोटे ताजमहलः 1961
  • किनारे से किनारे तकः 1962
  • टूटनाः 1966,
  • चौखटे तोड़ते त्रिकोणः 1987,
  • ये जो आतिश गालिब (प्रेम कहानियाँ): 2008
  • यहाँ तकः पड़ाव-1, पड़ाव-2(1989)
  • वहाँ तक पहुँचने की दौड़, हासिल

उपन्यास

  • सारा आकाशः 1959 ('प्रेत बोलते हैं' के नाम से 1951 में)
  • उखड़े हुए लोगः 1956
  • कुलटाः 1958
  • शह और मातः 1959
  • अनदेखे अनजान पुलः 1963
  • एक इंच मुस्कान (मन्नू भंडारी के साथ) 1963,
  • मन्त्रविद्धा: 1967
  • एक था शैलेन्द्र: 2007

कविता-संग्रह

  • आवाज तेरी हैः 1960

नाटक

  • चैखव के तीन नाटक (सीगल, तीन बहनें, चेरी का बगीचा)।

अनुवाद

उपन्यास : टक्कर (चैखव), हमारे युग का एक नायक (लर्मन्तोव) प्रथम-प्रेम (तुर्गनेव), वसन्त-प्लावन (तुर्गनेव), एक मछुआ : एक मोती (स्टाइनबैक), अजनबी (कामू)- ये सारे उपन्यास 'कथा शिखर' के नाम से दो खण्डों में- 1994, नरक ले जाने वाली लिफ्ट: 2002, स्वस्थ आदमी के बीमार विचार: 2012।

समीक्षा-निबन्ध

कहानीः स्वरूप और संवेदनाः 1968, प्रेमचन्द की विरासतः 1978, अठारह उपन्यासः 1981 औरों के बहानेः 1981, काँटे की बात (बारह खण्ड)1994, कहानी अनुभव और अभिव्यक्तिः 1996, उपन्यासः स्वरूप और संवेदनाः 1998, आदमी की निगाह में औरतः 2001, वे देवता नहीं हैं: 2001, मुड़-मुड़के देखता हूँ: 2002, अब वे वहाँ नहीं रहते: 2007, मेरे साक्षात्कारः 1994, काश, मैं राष्ट्रद्रोही होता : 2008, जवाब दो विक्रमादित्य (साक्षात्कार): 2007।


Tuesday, 28 March 2017

124. सुहाग के नूपुर-अमृत लाल नागर

“सारा इतिहास सच-सच ही लिखा है, देव! केवल एक बात अपने महाकाव्य में और जोड़ दीजिये – पुरुष जाति के स्वार्थ और दंभ-भरी मुर्खता से ही सारे पापों का उदय होता है। उसके स्वार्थ के कारण ही उसका अर्धांग – नारी जाति – पीड़ित है। एकांगी दृष्टिकोण से सोचने के कारण ही पुरुष न तो स्त्री को सटी बनाकर सुखी कर सका और न वेश्या बनाकर। इसी कारण वह स्वयं भी झकोले खाता है और खाता रहेगा। नारी के रूप में न्याय रो रहा है, महाकवि! उसके आंसुओं में अग्निप्रलय भी समाई है और जल प्रलय भी!”

महास्थिर और महाकवि दोनों ही आश्चर्यचकित हो उसे देखने लगे। सहसा महाकवि ने पूछा, “तुम माधवी हो?”

“मैं नारी हूँ – मनुष्य समाज का व्यथित अर्धांग।” पगली कहकर चैत्यगृह के ओर चली गई।


DOWNLOAD- सुहाग के नूपुर-अमृत लाल नागर
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Saturday, 25 March 2017

123. चित्र लेखा-भगवतीचरण वर्मा



























चित्रलेखा भगवती चरण वर्मा द्वारा रचित हिन्दी उपन्यास है। यह न केवल भगवतीचरण वर्मा को ए॰ उपन्यासकार के रूप में प्रतिष्ठा दिलाने वाला पहला उपन्यास है बल्कि हिन्दी के उन विरले उपन्यासों में भी गणनीय है जिनकी लोकप्रियता काल की सीमा को लाँघती रही है।
1934 में प्रकाशित 'चित्रलेखा' ने लोकप्रियता के कई पुराने कीर्तिमान बनाए॰थे। कहा जाता है कि अनेक भारतीय भाषाओं में अनूदित होने के अतिरिक्त केवल हिन्दी में नवें दशक तक इसकी ढाई लाख से अधिक प्रतियां बिक चुकी थीं। 1940 में केदार शर्मा के निर्देशन में "चित्रलेखा' पर एक फिल्म भी बनी।
चित्रलेखा की कथा पाप और पुण्य की समस्या पर आधारित है। पाप क्या है? उसका निवास कहाँ है? - इन प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए महाप्रभु रत्नांबर के दो शिष्य, श्वेतांक और विशालदेव, क्रमश: सामंत बीजगुप्त और योगी कुमारगिरि की शरण में जाते हैं। और उनके निष्कर्षों पर महाप्रभु रत्नांबर की टिप्पणी है, ‘‘संसार में पाप कुछ भी नहीं है, यह केवल मनुष्य के दृष्टिकोण की विषमता का दूसरा नाम है। हम न पाप करते हैं और न पुण्य करते हैं, हम केवल वह करते हैं जो हमें करना पड़ता है।[1]’’

DOWNLOAD- चित्र लेखा-भगवतीचरण वर्मा
DOWNLOAD- चित्र लेखा-भगवतीचरण वर्मा

Sunday, 19 March 2017

122. दसमहाविधा

शाक्त भक्तों के अनुसार "दस रूपों में समाहित एक सत्य कि व्याख्या है - महाविद्या" जो कि जगदम्बा के दस लोकिक व्यक्तित्वों की व्याख्या करते है। महविद्याएँ तान्त्रिक प्रकृति की मानी जातीं हैं जो निम्न हैं-

121. कहानी कुंज

Friday, 3 March 2017

चंद्रकांता संतति -कॉमिक्स

Friends this is not my Original post....... All the credit of uplode the series goes to akfunworld.

Hi friends,
I hope everyone is in good festive spirit these days. Today again I’ve brough one more very special post for you all. chandrakanta-santati
Today I’ve brought you all all 12 issues of ‘Chandrakanta Santati’ comics published by Pawan Comics.
I assume most of you are familiar with the Iconic Novel ‘Chandrakanta’ which was written by Devki Nandan Khatri in the late 19th Centuary and if you’re not then i assume that at least you’ve heard or seen the the very famous Hindi TV series Chandrakanta which was aired in mid 90s.
So as i was saying that Chandrakanta is an Iconic novel and got immense popularity at its time of writing and is considered one of the very first Novels in Indian literature to introduce ‘Aiyaa’ (Secret Agents) and Tilism. Encouraged by the success of Chandrakanta Mr. Khatri wrote a mammoth sequal to Chandrakanta which was titled ‘Chandrakanta Santati’ and followed the adventures of children of Chandrakanta and virendra singh. The series was published in 7 books containing 4 parts each.
Pawan comics in its decent year published complte Chandrakanta Santati in total 12 part comic series, and today I’ve brought you all 12 parts here. I hope you’ll like these comics as well as this post.
All the comics are in CBR format.



Mediafire Download Links:
  1. Download Chandrakanta Santati Comics Issue 1
  2. Download Chandrakanta Santati Comics Issue 2
  3. Download Chandrakanta Santati Comics Issue 3
  4. Download Chandrakanta Santati Comics Issue 4
  5. Download Chandrakanta Santati Comics Issue 5
  6. Download Chandrakanta Santati Comics Issue 6
  7. Download Chandrakanta Santati Comics Issue 7
  8. Download Chandrakanta Santati Comics Issue 8
  9. Download Chandrakanta Santati Comics Issue 9
  10. Download Chandrakanta Santati Comics Issue 10
  11. Download Chandrakanta Santati Comics Issue 11
  12. Download Chandrakanta Santati Comics Issue 12
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Thursday, 2 March 2017

जहाज के पंछी-इलाचन्द्र जोशी


श्री इलाचन्द्र जोशी हिन्दी के अत्यन्त प्रतिष्ठित उपन्यासकार थे। उनके प्रायः सभी उपन्यासों का गठन हमारे मध्यमवर्गीय समाज के जिन पात्रों के आधार पर हुआ है, वे मनोवैज्ञानिक सार्थकता के लिए सर्वथा अद्वितीय हैं।‘जहाज का पंछी’ एक ऐसे मध्यमवर्गीय नवयुवक के परिस्थिति-प्रताड़ित जीवन की कहानी है, जो कलकत्ते के विषमताजनित घेरे में फँसकर इधर-उधर भटकने को विवश हो जाता है, किन्तु उसकी बौद्धिक चेतना उसे रह-रह कर नित-नूतन पथ अपनाने को प्रेरित करती है। ऐसा कौन-सा काम है, जो उसने अपने अन्तस् की सन्तुष्टि के लिए न अपनाया हो। जीवन की उदात्तता का पक्षपाती होते हुए भी वह ‘जहाज का पंक्षी’ के समान इत-उत भटककर फिर अपने उसी उद्दिष्ट पथ का राही बन जाता है, जिसे अपनाने की साध वह अपने अन्तर्मन में सँजोये हुए था।


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गबन

 प्रेमचंद जी का रचना का एक और मोती.........

                                                  
                                                         Download link-गबन 


चंद्रकांता

बाबू देवकीनंदन खात्री द्वारा रचित हिन्दी उपन्यास जिसे पढ़ने के लिए लोगो ने हिन्दी सीखी...
                                   

                                                Download Link -चंद्रकांता