इतिहासका विद्यार्थी और पर्यटक होनेके कारण “विस्मृत यात्री” उपन्यासके लिखनेके लिये मेरा ध्यान जाना स्वाभाविक ही है। मैं करनेमें इतिहासकार और पर्यटककी जिम्मेवारीको ही पूरी तौरसे करनेकी कोशिश करता हूँ, जिसका फल यह भी होता है कि उपन्यास-प्रेमी इसमें कुछ कमियाँ पाते हैं। ऐसे पाठकोंके दृष्टिकोणसे कुछ अन्तर है, तो भी जिन दोषोंका उद्भावन किया जाता है, उनमेंसे कितनों को मैं भी अनुभव करता हूँ। पर, हटाना मेरे बसकी बात नहीं । हटानेके लिये कुछ तथ्योंको भी हटाना पड़ेगा, और साथ ही उतने धैर्यका मुझमें अभाव भी है। अतीत के समाजकी ईमानदारीके साथ वास्तविक रूपमें रखना मैं अपना प्रथम कर्तव्य समझता हूँ। ऐतिहासिक उपन्यासमें इतिहास और भूगोल या बहानेसे व्याख्या करना बेकार समझता हूँ। ‘विस्मृत यात्री” के लिखनेमें इन बातों पर कितना ध्यान दिया गया है, इसे सहृदय पाठक समझेगे। ….राहुल सांकृत्यायन
DOWNLOAD- विस्मृत यात्री- राहुल संकृतायन
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