राजेन्द्र यादव हिन्दी के सुपरिचित लेखक कहानीकार, उपन्यासकार व आलोचक थे। नयी कहानी के नाम से हिन्दी साहित्य में उन्होंने एक नयी विधा का सूत्रपात किया। राजेन्द्र यादव ने उपन्यासकार मुंशी प्रेमचन्द द्वारा सन् 1930 में स्थापित साहित्यिक पत्रिका हंस का पुनर्प्रकाशन 31 जुलाई 1986 को प्रारम्भ किया था। यह पत्रिका सन् 1953 में बन्द हो गयी थी। इसके प्रकाशन का दायित्व उन्होंने स्वयं लिया और अपने मरते दम तक पूरे 27 वर्ष निभाया।
राजेन्द्र यादव ने 1951 ई० में आगरा विश्वविद्यालय से एम०ए० की परीक्षा हिन्दी साहित्य में प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण की। उनका विवाह सुपरिचित हिन्दी लेखिका मन्नू भण्डारी के साथ हुआ ।
हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा राजेन्द्र यादव को उनके समग्र लेखन के लिये वर्ष 2003-04 का सर्वोच्च सम्मान (शलाका सम्मान) प्रदान किया गया था।
नवीन सामाजिक चेतना के कथाकार राजेन्द्र यादव की पहली कहानी‘प्रतिहिंसा’(1947) कर्मयोगी मासिक में प्रकाशित हुई थी। उनके पहले उपन्यास ‘ प्रेत बोलते हैं ’(1951) जो बाद में ‘सारा आकाश’ (1959) नाम से प्रकाशित हुई उन्हें अपने समय के प्रमुख उपन्यासकारों में स्थापित कर दिया। उन्होंने अपने साहित्य में मानवीय जीवन के तनावों और संघर्षों को पूरी संवेदनशीलता से जगह दी है। दलित और स्त्री मुद्दों को साहित्य के केंद्र में लेकर आए।
खरीदे- सारा आकाश-राजेंद्र यादव
Bahut hi utkristh novel...dhanyawad Raviji is novel k liye...
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