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Sunday, 6 August 2017

लोपामुद्रा-कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी

‘आर्यावर्त की महागाथा’ के नाम से मुंशीजी ने तीन खण्डों में वैदिककालीन आर्य संस्कृति के धुँधले इतिहास को सुस्पष्ट करके उपस्थित किया है। इसमें वैदिक सभ्यता और संस्कृति का बहुत ही सुन्दर और अधिकृत चित्रण है। यह पुस्तक उसका पहला खण्ड है। 

इस पुस्तक में ऋषि विश्वामित्र के जन्म और बाल्यकाल का वर्णन है। उनका अगस्त्य ऋषि के पास विद्याध्ययन, दस्युराज शम्बर द्वारा अपहरण, शम्बर-कन्या उग्रा से प्रेम-सम्बन्ध और इसके परिणामस्वरूप आर्य-मात्र में विचार-संघर्ष, ऋषि लोपामुद्रा का आशीर्वाद और अन्त में उनका राज्य-त्याग–इन सब घटनाओं को विद्वान् लेखक ने अपनी विलक्षण प्रतिभा और कमनीय कल्पना के योग से अनुप्राणित किया है। मुंशीजी की अन्य सभी कृतियों की तरह यह पुस्तक भी अद्भुत एवं अतीव रसमय है।

लोपामुद्रा-कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
लोपामुद्रा-कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी

4 comments:

  1. Thank you so much for the book of our great writer sh. K. M. Munshi

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    1. Sir Please follow the blog---------------

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  2. Thank you so much for the book of our great writer sh. K. M. Munshi

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