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Tuesday, 24 October 2017

शून्य समाधि-ओशो

समाधि जैसे दीपक की लौजैसे नागिन का फन। समाधि जैसे चटके कलीजैसे लहके चमन। समाधि जैसे उमड़े घटाजैसे फूटे किरन। गत्यात्मकताऊर्जाप्रवाहजीवंतता। परमात्मा कोई ठहरी हुई चीज नहीं। परमात्मा .शाश्वत प्रवाह है। इसीलिए तो परमात्मा जीवन है। परमात्मा पत्थर नहीं हैपरमात्मा फूल है। समाधि को जानो तो ही जान पाओगे।

 मैं राजी तुम्हें समाधि में ले चलने को हूँतुम बाहर बाहर से मत पूछो। मैं कुछ कहूँगातुम कुछ समझोगे। तुम बाहर बाहर से पूछोगे तो चूकोगे। आओभीतर आओ,द्वार खुले हैंदस्तक भी देने की कोई जरूरत नहीं हैआओभीतर आओ। और अगर तुम जरा हिम्मत करो इस देहली के पार होने कीतो तुम जान लोगे समाधि क्या है। समाधि स्वयं का मिट जाना और परमात्मा का आविर्भाव है। समाधि समाधान है। इसलिए समाधि कहते हैं उसे। सारी समस्याओं का समाधान। फिर कोई समस्या न रही,कोई प्रश्न न रहाकोई चिंता न रहीसब शांत हो गयासब प्रश्न गिर गयेसब समस्याएँ तिरोहित हो गयींएक शून्य रह गया। लेकिन उसी शून्य में पूर्ण उतरता है। तुम शून्य बनोपूर्ण उतरने को तत्पर बैठा है। तुम्हारी तरफ से समाधि शून्य है,परमात्मा की तरफ से समाधि पूर्ण है।

लेकिन एक बात स्मरण रखना सदाजो भी समाधि के संबंध में कहा जाए मै भी जो कह रहा हूँवह भी सम्मिलित है वह सभी कामचलाऊ है। पूछा है तो कह रहा हूँ। पूछा है तो कहना पड़ता है। लेकिन जो हैकहने में नहीं आता है। जो हूऐवह जानने में आता हैअनुभव में आता है। मैं कुछ कहूँगाशब्दों का उपयोग करना पड़ेगा। शब्द में लाते ही वह जो विराट आकाश था समाधि कासिकुड़ कर बहुत छोटा हो गया। और यह बड़ी असंभव बात है।

एक छोटा बच्चा किताब पढ़ रहा था। इतिहास की किताब और उसने पढ़ा नेपोलियन का यह प्रसिद्ध वचन कि संसार में असंभव कुछ भी नहींवह खिल खिला कर हँसने लगा। उसके बाप ने पूछा क्या बात हैतू किताब पढ़ रहा है कि हँस रहा हैउसनेकहा मैं इसलिए हँस रहा हूँ कि यह इसमें लिखा है संसार में असंभव कोई बात नहीं। पिता ने भी कहा ठीक ही कहा हैसंसार में असंभव कोई बात नहीं है। लड़के ने कहा फिर रुको,मैने आज ही सुबह एक काम करके देखा है जो बिल्कुल असंभव है। बाप ने कहा: कौन सा कामउसने कहा मैं लाता हूँ अभी। वह भागास्नानगृह से जाकर टूथपेस्ट उठा लाया और उसने कहा  इसमें से पहले टूथपेस्ट निकालोफिर भीतर करोयह असंभव है नेपोलियन के जमाने में टूथपेस्ट नहीं होता होगा। इसलिए मुझे हँसी आ गयीक्योंकि सुबह ही मैंने बहुत कोशिश कीलाख कोशिश की मगर फिर भीतर नहीं जाता।

समाधि का अर्थ है पहले मन से बाहर आओटूथपेस्ट निकाल लिया। अब समाधि के संबंध में बताने का मतलब है टूथपेस्ट को फिर भीतर करोफिर शब्दों में लौटोअसंभव है। शायद टूथपेस्ट तो किसी तरह से आ भी जाएकोई उपाय बनाए जा सकते हैं,लेकिन शब्द के बाहर जाकर समाधि का अनुभव होता हैफिर शब्द के भीतर: उसको लाना असंभव है। इशारे हो सकते हैं। वही इशारे मैंने किये। 

संतो मगन भया मन मेरा 

ओशो 

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