यद्यपि स्कन्दगुप्त का शासन काल महान संक्रान्ति का युग रहा था और उसे दीर्घकाल तक उन संकटों से जूझना पड़ा| हमे ज्ञात होता है कि अपने सिंहासनारोहण के शीघ्रबाद उसने योग्य प्रान्तपतियो को नियुक्त कि जुनागन अभिलेख से पता चलता है कि सौराष्ट्र प्रांत कौच्हित शसक च्हुमनने के लिए अनेक दिन रात उसने च्हिन्ता मे विताइ अन्त मे पर्न दत्त को वह क गोप्ता नियुक्त किया तब उसकए हृदय को शान्ति मिली एक लेखक लिखता है कि उशने शासन कअल मे नतो कोइ विद्रोह हुआ न कोइ बेघर हुआ।
सुदर्शन झील का निर्माण - स्कन्दगुप्त के शासन काल की सबसे मह्त्वपूर्ण घटना सुदर्शन झील के बांध को बनवाना था इस झील का इतिहास बहुत पुराना है सर्वप्रथम च्हन्द्रगुप्त ने एअक पर्वर्ति नदी के जल को रोककर इस झील का निर्मान लोकहित केद्रिस्ति से बनवाया बाद मे सम्राट अशोक ने सिच्हाइ के लिये उसमे से नहर निकालि एअक बार १५० इस्वि मे बान्ध टूट गया तव रुद्रदामन ने ब्यक्तिगत कश से उसका जिर्नोधार करवाया था ४५६ इस्वि मे उस झिल का बाध फिर टूट गया जिससे सोरास्त्र के लोगो को बना कस्त होना पना!तब स्कन्दगुप्त ने अपने कोश से अपार धन राशि उथा कर पुन्ह निर्मान करवाया इस निवर्वान क्े फलस्वरुप उसने उसी जगह विष्णुजी का एक मन्दिर बनवाया दुर्भाग्य से वह झील तथा मन्दिर अवस्थित नहीं है स्कन्दगुप्त सिच्हाइ के साधनों का पूरा ख्याल रखता था
स्कन्दगुप्त नाटक भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाओं में से एक है। इस नाटक में इतिहास प्रसिद्ध स्कन्दगुप्त को नायक बनाया गया है। स्कन्दगुप्त एक स्वाभिमानी, नीतिज्ञ, देशप्रेमी, वीर और स्त्रियों के सम्मान की रक्षा करने वाला शासक है। वह स्त्री का रूप धारण कर ध्रुवस्वामिनी के बदले शांती का प्रस्ताव रखने वाले शक शासक से द्वंद्व युद्ध कर उसे मौत के घाट उतार देता है। इस तरह वह अपने वंश की महारानी ध्रुवस्वामिनी की मर्यादा की रक्षा करता है। बाद में रामगुप्त की हत्या करने के बाद वह ध्रुवस्वामिनी से विवाह भी करता है।
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ऊपर दी गई जानकारी स्कंदगुप्त नहीं चंद्रगुप्त के लिए है।बड़े भाई की पत्नी ध्रुवस्वामिनी से चंद्रगुप्त ने विवाह किया था।सम्राट कुमारगुप्त की मृत्यु के बाद अपने पुत्र पुरगुप्त को सम्राट बनाने हेतु उनकी षड्यंत्रकारिणी पत्नी अनंतदेवी शत्रुओं से मिल गई।तब उनके कुचक्रों को स्कंदगुप्त ने विफल किया।राष्ट्रहित के लिए पूरा साम्राज्य उसी छोटे भाई पुरगुप्त के लिए त्याग दिया। संपूर्ण राज्य का दिग्विजय करके,हूणों को पराजित करके,राज्य त्याग करनेवाला चरित्र है स्कंदगुप्त।
ReplyDeleteDhanybad sir is nai jankari ke liye........mai fir se check kar sudhar duga........aap isi trah kuch slah dete rahe....
Deleteसभी पुराण लगता इसी काल मे लिखे हैं।
ReplyDeleteJai shankar prasaad ki natak eska nd gupta ki vali vaikha saari answer sahit dikho
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