आचार्य चतुरसेन द्वारा लिखित यह कालजयी उपन्यास, ना सिर्फ पौराणिक इतिहास को अलग नजरिया दे रहा है अपितु भौगोलिक प्रमाणिकता को भी बखूबी कायम रखा है | अगर आप इतिहास और पौराणिक घटनाओं को जानना और समझना चाहते हैं तो आचार्य चतुरसेन द्वारा लिखी पुस्तकें अवश्य पढ़ें |
वर्ष 1989 में राजकमल प्रकाशन से पहली बार प्रकाशित इस पुस्तक ने बाजार में आते ही साहित्यप्रेमियों में धूम मचा दी थी | अब तक इसे विभिन्न प्रकाशनों ने बहुत बार रिप्रिंट कराया है | किताब महल, हिन्द पौकेट बुक्स जैसे प्रकाशकों ने इस पुस्तक को सस्ते मूल्य पर पाठकों तक पहुँचाया है |
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